0 अगर बीजेपी की बनी सरकार तो ये हैं मुख्यमंत्री पद के दावेदार ! – Dr Nand Kishore

नई दिल्ली: दिल्ली की राजनीति पर एलजी नजीब जंग की रिपोर्ट के बाद दिल्ली में सरकार को लेकर हलचल तेज हो गई है. सूत्र के हवाले से ख़बर आ रही है कि बीजेपी ये मानकर चल रही है कि उसे ही सरकार बनाने का मौका मिलने वाला है. हालांकि पार्टी के पास बहुमत नहीं है बावजूद इसके पार्टी में मुख्यमंत्री चुनने की हलचल तेज हो गई है. 11 सितंबर को संसदीय बोर्ड की बैठक में मुख्यमंत्री का फैसला हो सकता है !

सूत्र बता रहे हैं कि हर्षवर्धन या जगदीश मुखी में से किसी को भी मौका मिल सकता है. हालांकि नंदकिशोर गर्ग और रमेश बिधूड़ी के नाम भी चर्चा में हैं. इन सब में जगदीश मुखी का नाम सबसे आगे. बीजेपी दिल्ली चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. फिल्हाल तो बीजेपी के तीन विधायक सांसद बनने के बाद विधानसभा से इस्तीफ़ा दे चुके है. उसके बाद भी संख्या में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है !

अगर बीजेपी के सरकार बनाने के लिए न्यौता मिलता है तो बीजेपी सरकार बनाएगी या नहीं ये साफ नहीं है. बीजेपी का मुख्यमंत्री कौन होगा ये भी स्पष्ट नहीं है. 2013 में डॉ हर्षवर्धन के अगुवाई में ही बीजेपी ने विधानसभा चुनावों में इनके चुनाव लड़ा था. हर्षवर्धन दिल्ली बीजेपी में बड़े और क़द्दावर नेता हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में चाँदनी चौक से जीतने के बाद उन्हे केंद्र सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया है !

डॉ हर्षवर्धन दिल्ली विधानसभा के चुनाव पाँच बार जीत चुके है, दिल्ली की पहली बीजेपी सरकार में भी स्वास्थ्य मंत्री थे. तीन बार प्रदेश के अध्यक्ष रह चुके है. साफ़ सुथरी छवि वाले डॉ हर्षवर्धन ने 2013 में बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बावजूद बहुमत ना होने पर सरकार बनाने से इनकार कर दिया था. पार्टी की आज भी पहली पसंद डॉ हर्षवर्धन ही है !

डॉ हर्षवर्धन के बाद सीएम के दौड़ में दूसरा नाम प्रोफेसर जगदीश मुखी का है. मुखी दिल्ली में बीजेपी की सरकार में मंत्री रह चुके है वहीं वो विपक्ष के नेता भी रहे है. पार्टी में उनका कद काफी बड़ा है. जगदीश राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का काम कर चुके है. उन्होंने पाँच बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव भी जीता है. 2009 में लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके है लेकिन हार गए थे !

तीसरा नाम है नंदकिशोर गर्ग का पार्टी के बड़े नेता है, पार्टी में कई ज़िम्मेदारी निभा चुके है. वो इस बार विधानसभा में है और काफ़ी वरिष्ठ नेता है. पार्टी और संघ में अच्छी पकड़ है. हालंकि 2003, 2008 का विधानसभा चुनाव हर गए थे, दस साल बाद विधानसभा में वापसी हुई है !

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